पूज्य श्री अमर नाथ जी : समाज और राष्ट्र के सच्चे प्रहरी
भारत की धरती हमेशा से ऐसे महापुरुषों से धन्य रही है जिन्होंने अपने जीवन को समाज और राष्ट्रहित में समर्पित कर दिया। उन्हीं महान विभूतियों में से एक नाम है पूज्य श्री अमर नाथ जी का, जिनका जीवन समाजसेवा, राष्ट्रप्रेम और जनकल्याण की अनुपम मिसाल है। उन्होंने न केवल समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, बल्कि युवाओं को जागरूक और प्रगतिशील बनाने के लिए भी अपना पूरा जीवन लगा दिया।
युवाओं के लिए प्रेरणा – दिल्ली यूथ प्रोग्रेस ग्रुप की स्थापना (1981)
युवा किसी भी राष्ट्र की असली शक्ति होते हैं। अमर नाथ जी ने इस बात को बहुत पहले ही समझ लिया था। इसी सोच के तहत उन्होंने सन 1981 में “दिल्ली यूथ प्रोग्रेस ग्रुप” की स्थापना की। इसका उद्देश्य था युवाओं को एक मंच प्रदान करना, ताकि वे शिक्षा, सामाजिक कार्य और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा सकें।
इस संगठन के माध्यम से उन्होंने युवाओं को नशे और कुप्रथाओं से दूर रहने, शिक्षा और जागरूकता अपनाने तथा समाज के लिए उपयोगी बनने का संदेश दिया। उनकी पहल ने दिल्ली और आसपास के हजारों युवाओं के जीवन को नई दिशा दी।
दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष
अमर नाथ जी ने सदैव समाज के उस तबके की आवाज़ उठाई जिसे अक्सर अनसुना किया जाता रहा। वे दिल्ली सदर जिला हरिजन सेल के अध्यक्ष बने, जहां उन्होंने दलित और पिछड़े वर्गों को न्याय और सम्मान दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष किया।
उनका मानना था कि यदि समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता, तो राष्ट्र की प्रगति अधूरी है। उन्होंने अनेक आंदोलनों और कार्यक्रमों के माध्यम से दलित समाज की समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुँचाया।
झुग्गी-झोपड़ी वालों की आवाज़ बने (1992)
गरीब और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग अक्सर समाज और व्यवस्था के सबसे बड़े शोषण का शिकार होते हैं। अमर नाथ जी ने उनके दर्द को अपना दर्द समझा। सन 1992 में RWA के उप सचिव रहते हुए उन्होंने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए सरकार से पक्के मकान दिलाने और उनके रहन-सहन को बेहतर बनाने के लिए खुलकर आवाज़ उठाई।
उन्होंने प्रशासन पर दबाव बनाया कि इन गरीब परिवारों को न्याय मिले और उनके जीवन की रक्षा की जाए। इस संघर्ष ने हजारों झुग्गीवासियों को हिम्मत दी कि वे भी अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं।
समाजसेवा ही जीवन का उद्देश्य
अमर नाथ जी का पूरा जीवन एक संदेश देता है—सच्चा देशप्रेम केवल झंडा लहराने या भाषण देने में नहीं, बल्कि उन कार्यों में है जो आम जनता के जीवन को बेहतर बनाएं।
उन्होंने न कभी अपने पद की परवाह की और न ही किसी लोभ-लालच में आए। उनका एक ही ध्येय रहा—समाज के हर वर्ग तक न्याय और समानता पहुँचे।
प्रेरणा स्रोत
आज जब समाज तेजी से बदल रहा है, अमर नाथ जी का जीवन हमें यह याद दिलाता है कि यदि एक व्यक्ति ठान ले तो वह हजारों-लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। युवाओं को प्रगतिशील बनाने की उनकी सोच, दलित-पिछड़े वर्गों के लिए उनका संघर्ष और गरीबों की लड़ाई में उनकी निडरता, आज भी हर समाजसेवी और युवा के लिए प्रेरणा है।
पूज्य श्री अमर नाथ जी का जीवन केवल इतिहास की किताबों में लिखे जाने योग्य नहीं है, बल्कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने यह साबित किया कि देशप्रेम और समाजसेवा एक साथ चल सकते हैं, और यदि निस्वार्थ भाव से कार्य किया जाए तो समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव है।
आइए, हम सब मिलकर पूज्य श्री अमर नाथ जी के दिखाए मार्ग पर चलें और उनके सपनों का न्यायपूर्ण, समानता से भरा और प्रगतिशील समाज बनाने में अपनी भूमिका निभाएँ। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। विशेषकर उनकी पुण्यतिथि पर, जो शारदीय चौथ नवरात्रि को पड़ती है, हर वर्ष आयोजित होने वाला विशाल भंडारा उनके समाजसेवी जीवन का स्मरण और प्रेरणा बनकर हमें सेवा-पथ पर आगे बढ़ने का संकल्प दिलाता है।
पूज्य श्री अमर नाथ जी को श्रद्धांजलि
स्थान: श्री अमरनाथ जी चौक, लाइब्रेरी रोड आजाद मार्केट दिल्ली– 110006