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भाषा को लेकर हिंसा, SC को भी नहीं मान रहे राज ठाकरे! सुप्रीम कोर्ट से FIR दर्ज कराने की मांग

भाषा को लेकर हिंसा, SC को भी नहीं मान रहे राज ठाकरे! सुप्रीम कोर्ट से FIR दर्ज कराने की मांग

भाषा को लेकर हिंसा, SC को भी नहीं मान रहे राज ठाकरे! सुप्रीम कोर्ट से FIR दर्ज कराने की मांग

नई दिल्ली / मुंबई –

महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर चल रहा तनाव अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भाषाई भेदभाव के नाम पर हिंसा और उकसावे की राजनीति कर रहे हैं।

क्या है याचिका में?

मुंबई के वकील घनश्याम दयालू उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि वह ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में दिए गए फैसले को देशभर में लागू कराने का आदेश दे। खास तौर पर, चुनाव आयोग को इस फैसले के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

राज ठाकरे पर आरोप

याचिका के अनुसार, राज ठाकरे और MNS कार्यकर्ता अक्सर उत्तर भारत या अन्य राज्यों से आए लोगों को निशाना बनाते हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह संविधान में दी गई समानता और एकता की भावना के खिलाफ है और इससे सामाजिक ताना-बाना टूटता है।

ललिता कुमारी केस का हवाला

2013 में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक ललिता कुमारी फैसले में कहा गया था कि अगर किसी संज्ञेय अपराध की जानकारी पुलिस को मिलती है, तो उसे बिना देर किए FIR दर्ज करनी होगी। ऐसा न करने पर संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है।

याचिका की प्रमुख मांगें:

राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

ललिता कुमारी केस में दिए गए SC के दिशानिर्देशों को सभी राज्यों में लागू किया जाए।

चुनाव आयोग को भाषाई आधार पर हिंसा करने वाले राजनीतिक दलों पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया जाए।

महाराष्ट्र सरकार और पुलिस प्रशासन को संविधान की रक्षा हेतु कार्रवाई करने का आदेश दिया जाए।

राजनीतिक और संवैधानिक असर

यह याचिका केवल एक नेता के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र और चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारियों पर सवाल उठाती है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस पर सख्त रुख अपनाता है, तो यह देशभर में राजनीतिक भाषणों और भाषाई भेदभाव के मामलों पर नज़ीर बन सकता है।

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Rudra ji