राहुल गांधी के 2000 वर्ग किमी के दावे पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, बड़ा राजनीतिक घमासान
नई दिल्ली:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से देश की सियासत और न्यायपालिका दोनों में हलचल मच गई है। राहुल गांधी ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह भारत की करीब 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर चुका है। यह आरोप तब और गंभीर हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर राहुल गांधी से सीधे सबूत मांगे हैं।
कांग्रेस के दावे – तीन आधार:
इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने अपने बचाव में तीन मुख्य तर्क पेश किए हैं:
1. सुब्रह्मण्यम स्वामी का हवाला:
कांग्रेस ने दावा किया है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी पहले ही इस मुद्दे को उठा चुके हैं और उन्होंने भी चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जे की बात कही थी।
2. सेना के रिटायर्ड अधिकारियों से जानकारी:
राहुल गांधी का कहना है कि उन्होंने कई सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से मुलाकात कर इस विषय पर जानकारी जुटाई है, जो उनके दावे को समर्थन देती है।
3. सरकार की चुप्पी और पारदर्शिता का अभाव:
कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट और पारदर्शी जवाब नहीं दे रही है, जिससे संदेह और गहराता है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बेहद गंभीर मामला मानते हुए कहा है कि ऐसे आरोपों को केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि इसके लिए पुख्ता प्रमाण अनिवार्य हैं। कोर्ट ने राहुल गांधी को सीधे तौर पर अपने आरोपों के पीछे सबूत प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
क्या ये राजनीतिक बयानबाज़ी है?
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या राहुल गांधी के पास वास्तव में ऐसे दस्तावेज़ या तथ्य मौजूद हैं जो उनके दावे को साबित कर सकें? या फिर यह एक राजनीतिक बयान भर है, जिसे लेकर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और गहराएगा?
इस विवाद ने अब कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर तूल पकड़ लिया है। एक ओर जहां कांग्रेस इसे लोकतंत्र में विपक्ष का अधिकार बता रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट इसे राष्ट्रीय हित से जुड़ा मामला मानते हुए गंभीरता से देख रहा है। आने वाले दिनों में इस पर सरकार की प्रतिक्रिया और कोर्ट की कार्यवाही पर पूरे देश की निगाहें टिकी रहेंगी।