पवन कल्याण का बड़ा बयान: “तेलुगु हमारी मां है, हिंदी हमारी मौसी” — राष्ट्रीय एकता और फिल्म उद्योग में हिंदी की भूमिका को बताया अहम
हैदराबाद।
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी (Janasena) के प्रमुख पवन कल्याण ने एक बार फिर भाषा को लेकर देशभर में चल रही बहस के बीच एक सौहार्दपूर्ण और संवेदनशील बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “तेलुगु हमारी मां है और हिंदी हमारी मौसी।” यह बयान न सिर्फ भाषाई एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि देश के उत्तर-दक्षिण संबंधों में एक सेतु का कार्य भी करता है।
हिंदी को लेकर क्यों बोले पवन कल्याण?
पवन कल्याण का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत में भाषाओं को लेकर राजनीतिक और सांस्कृतिक विवाद समय-समय पर उभरते रहते हैं। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि मातृभाषा तेलुगु का हमारे जीवन में पहला स्थान है, पर हिंदी जैसी भाषाएं हमें राष्ट्रीय स्तर पर संवाद और पहचान दिलाने का माध्यम हैं।
फिल्म उद्योग में हिंदी की भूमिका को बताया निर्णायक
पवन कल्याण ने विशेष रूप से भारतीय फिल्म उद्योग की बात करते हुए कहा कि हिंदी का महत्व सिर्फ एक भाषा के रूप में नहीं बल्कि एक बड़े दर्शक वर्ग और आर्थिक संभावनाओं के रूप में भी है।
“देशभर में हिंदी फिल्मों और कंटेंट को समझने और अपनाने वाले दर्शकों की संख्या करोड़ों में है। इससे दक्षिण भारत के कलाकारों को भी राष्ट्रीय पहचान और अवसर मिलते हैं,” – पवन कल्याण
राष्ट्रीय एकता का संदेश
पवन कल्याण ने यह भी कहा कि भाषा को विवाद का नहीं, एकता और संवाद का माध्यम बनाना चाहिए। उन्होंने अपील की कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए और हिंदी को “संपर्क भाषा” के रूप में देखा जाए, न कि वर्चस्व के प्रतीक के रूप में।
राजनीतिक संदेश भी?
विशेषज्ञ मानते हैं कि पवन कल्याण का यह बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है, क्योंकि वह एक ऐसे क्षेत्र से आते हैं जहां अक्सर हिंदी थोपे जाने के खिलाफ आवाजें उठती हैं। ऐसे में उनका यह संतुलित बयान एक रचनात्मक विमर्श की शुरुआत कह सकते हैं।
पवन कल्याण का यह बयान भारत की भाषाई विविधता में एकता और सद्भाव की मिसाल पेश करता है। यह स्पष्ट करता है कि हम अपनी मातृभाषा से प्रेम करते हुए भी अन्य भारतीय भाषाओं का सम्मान कर सकते हैं, और देश की प्रगति में सामूहिक रूप से योगदान दे सकते हैं।