पुराने वाहनों पर प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा, दिल्ली सरकार बोली – “दिल्ली के हक की लड़ाई लड़ेंगे”
दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार इस मुद्दे को देश की सर्वोच्च अदालत में ले जाएगी और दिल्लीवासियों के हक की पूरी मजबूती से पैरवी करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मामले में CAQM (Commission for Air Quality Management) को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस योजना की समीक्षा की जाए और जनता की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इसे फिर से विवेचित किया जाए।
क्या है मामला?
दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से ‘End of Life’ (EOL) नीति के तहत उन वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया जो 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल इंजन वाले हैं। साथ ही इन वाहनों को पेट्रोल-डीजल देने पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार का कहना है कि यह फैसला प्रदूषण नियंत्रण के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन इस फैसले का दिल्ली के कुछ हिस्सों में विरोध भी देखने को मिला है।
सीएम रेखा गुप्ता का बयान
मुख्यमंत्री ने कहा,
“दिल्ली के हक की लड़ाई पूरे देश के लिए मिसाल बनेगी। पूरे देश में जो नियम लागू होते हैं, वही दिल्ली में भी लागू हों, हम यही चाहते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अपना काम करे, प्रशासन अपना काम करे, लेकिन दिल्ली की जनता को अनावश्यक कष्ट ना हो।”
रेखा गुप्ता ने आगे कहा कि इस फैसले की पुनः समीक्षा के लिए वे सुप्रीम कोर्ट और संबंधित एजेंसियों के समक्ष दिल्लीवासियों की आवाज पहुंचाएंगे।
“हम दिल्ली की जनता को राहत देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे,” उन्होंने कहा।
अगला कदम क्या होगा?
दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस प्रतिबंध को लेकर अपनी दलीलें पेश करेगी।
CAQM और अन्य पर्यावरण एजेंसियों से भी पुनर्विचार की मांग की जाएगी।
जनता के हित में वैकल्पिक समाधान की दिशा में भी काम किया जाएगा।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पुराने वाहनों पर प्रतिबंध जरूरी माना जा रहा है, लेकिन इसका सामाजिक और आर्थिक असर भी सामने आ रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और दिल्ली सरकार जनता को राहत दिलाने में कितनी सफल होती है।