RNI NO – DELHIN/2015/63701

DCP Liecens No: F-2(N-18)

DL(DG-11)/8084/2015-17

Friday, 27 Jun 2025 , 8:53 pm

RNI NO - DELHIN/2015/63701 | DL(DG-11)/8084/2015-17

Home » राज्य » बिहार = BR » बिहार में जैविक खेती का उभार, गंगा के समीप बने कॉरिडोर से हो रहा परिवर्तन

बिहार में जैविक खेती का उभार, गंगा के समीप बने कॉरिडोर से हो रहा परिवर्तन

पटना: 
बिहार के गंगा नदी के पास बने जैविक कॉरिडोर ने जैविक कृषि को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। राज्य के 13 जिलों में फैले इस कॉरिडोर में हजारों एकड़ भूमि पर जैविक कृषि की जा रही है, जोकेवल पर्यावरण की रक्षा में मदद कर रही है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य और जैव विविधता को भी संवर्धित कर रही है. यह अभियान अब राष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण बन चुका है।

जैविक कॉरिडोर: गंगा और पारिस्थितिकी का संरक्षण

सरकार ने 2020 में गंगा नदी के तट पर जैविक गलियारे की योजना आरंभ की थी। इस योजना का लक्ष्य जैविक खेती को प्रोत्साहित करना, गंगा कजैव विविधता की रक्षा करना और रसायनों से होने वाले नुकसान को कम करना है. इस कॉरिडोर में खेतों से गंगा में आने वाले हानिकारक रासायनिक पदार्थों की मात्रा में कमी आई है, जिससे नदी का पारिस्थितिकी तंत्र भी सुरक्षित हो रहा है.

गंगा तट पर 13 जिलों में निर्मित जैविक कॉरिडोर में चल रही जैविक कृषि

जैविक कॉरिडोर योजना के तहत राज्य के हजारों एकड़ में हो रही है जैविक कृषि।

जैव विविधता का संरक्षण गंगा नदी के जैविक कॉरिडोर के माध्यम से हो रहा है।

यह योजना मिट्टी की सेहत को सुधारने में सहायता कर रही है।

20,000 से ज्यादा किसानों की हिस्सेदारी

इस योजना के तहत 20,000 से अधिक किसान शामिल हैं, जो 19,594 एकड़ से ज्यादा भूमि पर जैविक कृषि कर रहे हैं। किसान रासायनिक जहर से रहित फसलें और अन्य कृषि उत्पाद उगाए जा रहे हैं, जिससे केवल उनकी आमदनी में वृद्धि हो रही है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी यह लाभकारी साबित हो रहा है। सरकार पहले वर्ष में 11,500 रुपये प्रति एकड़ और दूसरे-तीसरे वर्ष में 6,500 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता देकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है.

योजना की सफलताएँ और विकास

यह योजना 2020-21 में शुरू हुई थी और मूल रूप से 2022-23 तक के लिए निर्धारित थी, लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए इसे 2025 तक बढ़ा दिया गया है। जैविक कृषि को क्लस्टर आधारित मॉडल के अंतर्गत बढ़ावा दिया जा रहा है, जो मिट्टी की गुणवत्ता, कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन और हानिकारक पदार्थों के प्रयोग को घटाने में सहायक है. यह मॉडल सतत खेती का प्रमुख उदाहरण बन गया है.

इन जिलों में विस्तृत है कॉरिडोर

गंगा नदी के तट पर बक्सर, भोजपुर, पटना, नालंदा, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर और कटिहार जिले इस जैविक गलियारे में शामिल हैं। इन जिलों में जैविक खेती से किसानों की जीवन स्तर में सुधार हो रहा है, साथ ही गंगा की स्थिति में भी सुधार हो रहा है। बिहार का यह जैविक कॉरिडोर मॉडल हरित कृषि और दीर्घकालिक विकास का माध्यम बनता जा रहा है।

संबंधित समाचार
Rudra ji