देश की राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए हैं। अब खुले में कंस्ट्रक्शन मलबा फेंकने और बिना अनुमति सड़क खुदाई (रोड कटिंग) करने पर सीधे FIR दर्ज की जाएगी। सरकार का मानना है कि सड़क की धूल और निर्माण कार्यों से उड़ने वाले कण दिल्ली के प्रदूषण में बड़ा योगदान दे रहे हैं।
सरकारी एजेंसियों की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि सड़कों पर पड़े मलबे, गड्ढों और खुले निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल दिल्ली में PM10 और PM2.5 के स्तर को लगातार बढ़ा रही है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब “जीरो टॉलरेंस” नीति अपनाने का फैसला किया है। इसके तहत नियम तोड़ने वाले ठेकेदारों, बिल्डरों और संबंधित विभागों के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी।
नए निर्देशों के अनुसार, यदि किसी सड़क पर बिना अनुमति खुदाई की जाती है और उसे निर्धारित समय में ठीक नहीं किया जाता, तो संबंधित एजेंसी पर FIR के साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा। वहीं, खुले में मलबा फेंकने वालों के खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। प्रशासन को ऐसे स्थानों की सूची तैयार करने और नियमित निगरानी के आदेश दिए गए हैं।
सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि सड़कों पर बने गड्ढों की मरम्मत समयबद्ध तरीके से की जाए, ताकि धूल और ट्रैफिक जाम दोनों से राहत मिल सके। इसके लिए नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और अन्य एजेंसियों को आपसी समन्वय के साथ काम करने को कहा गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन नियमों का सख्ती से पालन कराया गया, तो आने वाले महीनों में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार संभव है। वहीं आम लोगों से भी अपील की गई है कि वे मलबा फेंकने या अवैध रोड कटिंग की सूचना प्रशासन को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।












