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सावन में विश्व हिंदू परिषद की पहल: दिल्ली में दुकानों को मिल रहा ‘सनातनी सर्टिफिकेट’

सावन में विश्व हिंदू परिषद की पहल: दिल्ली में दुकानों को मिल रहा 'सनातनी सर्टिफिकेट'

सावन में विश्व हिंदू परिषद की पहल: दिल्ली में दुकानों को मिल रहा ‘सनातनी सर्टिफिकेट’

नई दिल्ली, जुलाई 2025:
सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और देशभर में शिवभक्ति का माहौल चरम पर है। इसी क्रम में कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने एक विशेष अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत दिल्ली में स्थित दुकानों को ‘सनातनी सर्टिफिकेट’ दिया जा रहा है।

क्या है यह ‘सनातनी सर्टिफिकेट’?

विश्व हिंदू परिषद की टीमें दिल्ली के विभिन्न इलाकों, खासकर कांवड़ रूट पर मौजूद रेस्टोरेंट, होटल, ढाबों और किराना दुकानों का निरीक्षण कर रही हैं। जो दुकानें पूरी तरह से शाकाहारी भोजन परोसती हैं और सनातन धर्म की मर्यादाओं का पालन करती हैं, उन्हें ‘सनातनी प्रतिष्ठान’ घोषित किया जा रहा है।

दुकानों को एक विशेष स्टिकर भी प्रदान किया जा रहा है, जिस पर लिखा होता है:

“यह प्रतिष्ठान सनातन धर्म के सिद्धांतों के अनुसार संचालित होता है।”

इससे राह चलते श्रद्धालुओं को दूर से ही यह पता चल सकेगा कि कौन-सी दुकान धार्मिक और सांस्कृतिक शुद्धता का पालन करती है।

 कैसे किया जा रहा है मूल्यांकन?

टीमें दुकानों की रसोई और सामग्री की जांच कर रही हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि—

दुकान में मांसाहार का कोई इस्तेमाल नहीं है।

मद्यपान या नशे से जुड़ी वस्तुएँ नहीं बिक रहीं।

साफ-सफाई और धार्मिक परंपराओं का पालन हो रहा है।

इसके बाद योग्य प्रतिष्ठानों को यह सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।

 उद्देश्य क्या है?

VHP के अनुसार, इस पहल का मकसद कांवड़ यात्रियों को सुविधा देना है ताकि वे किसी शंका के बिना ऐसे स्थानों पर भोजन कर सकें जो सनातन परंपरा के अनुसार संचालित हो रहे हों।

 क्या कहती है जनता?

इस अभियान को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं—

समर्थकों का कहना है कि यह एक सकारात्मक पहल है जो श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करती है और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सहायक है।

विरोधियों का तर्क है कि इससे व्यवसायों में धार्मिक आधार पर वर्गीकरण हो सकता है, जो समाज में विभाजन और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है।

श्रावण के इस धार्मिक मौसम में विश्व हिंदू परिषद की यह पहल एक तरफ आस्था से जुड़ी सुविधा देने का कार्य कर रही है, वहीं दूसरी तरफ यह सामाजिक बहस का मुद्दा भी बन रही है।

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