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Vistadome ; जंगल सफारी ट्रेन शुरू: उत्तर प्रदेश में भारत की पहली ट्रेन से करें जंगल की सैर

Vistadome ; जंगल सफारी ट्रेन शुरू: उत्तर प्रदेश में भारत की पहली ट्रेन से करें जंगल की सैर

उत्तर प्रदेश में भारत की पहली विस्टाडोम जंगल सफारी ट्रेन शुरू: अब ट्रेन से करें जंगल की सैर

लखीमपुर खीरी/बहराइच – उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय रेलवे ने मिलकर भारत की पहली Vistadome जंगल सफारी ट्रेन की शुरुआत कर दी है। यह अनूठी ट्रेन यात्रा दुधवा टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य को जोड़ती है और यात्रियों को जंगल के बीच से गुजरने का रोमांचक अनुभव प्रदान करती है।

Vistadome ; जंगल सफारी ट्रेन शुरू: उत्तर प्रदेश में भारत की पहली ट्रेन से करें जंगल की सैर
Vistadome ; जंगल सफारी ट्रेन शुरू: उत्तर प्रदेश में भारत की पहली ट्रेन से करें जंगल की सैर

इस पहल को उत्तर प्रदेश इको-टूरिज्म बोर्ड की “एक गंतव्य, तीन जंगल” योजना के तहत शुरू किया गया है, जो दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, किशनपुर और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्यों को जोड़ती है। यह तीनों क्षेत्र भारत के सबसे जैव-विविध इलाकों में गिने जाते हैं।

ट्रेन में विस्टाडोम कोच लगाए गए हैं, जो घूमने वाली आरामदायक सीटों, बड़ी कांच की खिड़कियों और पारदर्शी छतों से लैस हैं। इन सुविधाओं के ज़रिए यात्री जंगल, पेड़ों, आर्द्रभूमियों और संभावित वन्यजीवों का भरपूर नज़ारा सीट पर बैठे-बैठे ही कर सकते हैं।

यात्रा विवरण

यह ट्रेन बिछिया (बहराइच) और मैलानी (लखीमपुर खीरी) के बीच 107 किलोमीटर लंबी दूरी तय करती है।

ट्रेन संख्या 52259 सुबह 11:45 बजे बिछिया से चलकर शाम 4:10 बजे मैलानी पहुँचती है।

ट्रेन संख्या 52260 सुबह 6:05 बजे मैलानी से चलकर 10:30 बजे बिछिया पहुँचती है।

यात्रा का समय लगभग 4 घंटे 25 मिनट है और टिकट की कीमत ₹275 प्रति व्यक्ति निर्धारित की गई है।

मार्ग में यह ट्रेन नौ जंगल-किनारे स्टेशनों से होकर गुजरती है, जिनमें तिकुनिया, दुधवा, पलिया कलां जैसे स्टेशन शामिल हैं, जहां से जंगल नज़दीक से दिखाई देता है।

सिर्फ़ यात्रा नहीं, एक उद्देश्य

यह पहल केवल पर्यटन को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, संरक्षण और रोजगार भी जोड़ा गया है।

स्कूली छात्रों के लिए युवा पर्यटन क्लब के तहत साप्ताहिक यात्राएं चलाई जाएंगी।

ब्लॉगर्स और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए परिचयात्मक सफर आयोजित किए जा रहे हैं ताकि वे इस अनुभव को साझा कर सकें।

साथ ही, स्थानीय होमस्टे और रिसॉर्ट्स को जोड़ा जा रहा है जिससे वन-क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा।

सरकार लखनऊ से कतर्नियाघाट तक परिवहन की सुविधाएं बढ़ाने और यात्रियों को सब्सिडी देने पर भी विचार कर रही है।

नया अनुभव, नई दिशा

प्राकृतिक सुंदरता और संरक्षण-प्रथम सोच के साथ यह ट्रेन भारत में पर्यटन का नया आयाम खोलती है। यह सफर उन यात्रियों के लिए खास है जो पारंपरिक जंगल सफ़ारी से कुछ अलग अनुभव करना चाहते हैं — वह भी आराम और रोमांच के साथ।

अब जंगल की यात्रा सिर्फ जीप से नहीं, रेल की पटरी से भी हो सकती है – और वो भी विस्टाडोम के काँच से जंगल को करीब से देखते हुए।

नेशनल कैपिटल टाइम्स ;

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Rudra ji