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शिक्षक: राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत नींव, शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है, #TeachersDay

शिक्षक: राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत नींव, शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है, #TeachersDay

शिक्षक: राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत नींव

नई दिल्ली।

किसी भी देश की भविष्य की रूपरेखा केवल नीतियों और योजनाओं से तय नहीं होती, बल्कि उन हाथों से गढ़ी जाती है जो आने वाली पीढ़ियों को दिशा देते हैं। वे हाथ हैं—हमारे शिक्षक। शिक्षक दिवस के अवसर पर यह विचार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि राष्ट्र निर्माण की असली ताकत नीतियों या निवेश से कहीं अधिक शिक्षा और शिक्षकों में निहित है।

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन देश के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। जब वे राष्ट्रपति बने, तो उनके छात्रों और दोस्तों ने उनसे जन्मदिन मनाने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने जवाब दिया—“मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय यदि आप इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाएँ, तो मुझे गर्व होगा।” तभी से यह परंपरा बनी और आज यह दिन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में शिक्षकों के योगदान की याद दिलाता है।

शिक्षक: सिर्फ पाठ्यपुस्तक तक सीमित नहीं

शिक्षक केवल किताबों का ज्ञान नहीं देते। वे जीवन जीने का दृष्टिकोण, संस्कार और मूल्य भी सिखाते हैं। एक अच्छा शिक्षक छात्र को आत्मविश्वासी बनाता है, उसकी सोच को ऊँचाई देता है और उसमें यह विश्वास जगाता है कि “मैं अपने देश और समाज के लिए कुछ कर सकता हूँ।” यही सोच आत्मनिर्भर भारत की असली शक्ति है।

आज भारत विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। यह यात्रा तभी सफल होगी जब शिक्षा और शिक्षक इसमें अपनी केंद्रीय भूमिका निभाएँगे। सरकार ने जहाँ टेक्नोलॉजी और डिजिटल शिक्षा पर जोर दिया है, वहीं इसका प्रारंभिक बिंदु वही है—गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रेरक शिक्षक।

बदलते समय में शिक्षक की भूमिका

आज का दौर तेज़ी से बदल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स और डिजिटल टूल्स से लैस यह युग छात्रों के सामने नए अवसर और नई चुनौतियाँ लेकर आया है। ऐसे समय में शिक्षक का काम सिर्फ ज्ञान देना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों को problem-solver, nation-builder और change-maker बनाना है।

जब कोई शिक्षक छात्र से सिर्फ यह नहीं पूछता कि “तुम्हें क्या बनना है?” बल्कि यह भी पूछता है कि “तुम्हें देश के लिए क्या करना है?”, तभी शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है।

परंपरा और आधुनिकता का पुल

शिक्षक ही वह पुल हैं जो परंपरा को आधुनिकता से जोड़ते हैं। वे केवल ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं करते, बल्कि उस ज्ञान को कर्म में बदलते हैं और वही कर्म आगे जाकर राष्ट्र-निर्माण में बदलता है। उदाहरण के लिए, हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक और शिक्षक दोनों थे। उन्होंने हमेशा छात्रों को यह सिखाया कि सपने वो नहीं होते जो नींद में आते हैं, बल्कि सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।

शिक्षा और राष्ट्रीय विकास

भारत आज विश्वगुरु बनने का सपना देख रहा है। इस दिशा में शिक्षा सबसे बड़ी ताकत है। एक पढ़ा-लिखा, जागरूक और संवेदनशील समाज ही नए भारत का निर्माण कर सकता है। सरकार की नीतियाँ और योजनाएँ तभी सफल होंगी, जब उन्हें लागू करने वाली पीढ़ी मजबूत शिक्षा और सशक्त सोच से लैस होगी।

शिक्षा केवल रोजगार पाने का साधन नहीं है। यह जीवन को सही दिशा देने और समाज को बेहतर बनाने का आधार है। और इस प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका सबसे अहम है।

शिक्षक: प्रेरणा और विश्वास के स्रोत

एक अच्छा शिक्षक न केवल पढ़ाता है, बल्कि बच्चों के सपनों को पंख देता है। वह उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है, समाज की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है और यह विश्वास जगाता है कि हर बच्चा अपने देश की प्रगति में योगदान दे सकता है। यही सोच विकसित भारत की असली शक्ति है।

आज के दौर की चुनौतियाँ और शिक्षक

बदलते समय में शिक्षक कई चुनौतियों का सामना भी कर रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा, स्मार्ट क्लास, डिजिटल गैजेट्स और नई शिक्षा नीति ने शिक्षा को नए आयाम दिए हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे जरूरी बात यह है कि तकनीक कभी शिक्षक की जगह नहीं ले सकती। तकनीक सहायक हो सकती है, लेकिन प्रेरणा देने का काम केवल एक शिक्षक ही कर सकता है।

आज जब हम विकसित और आत्मनिर्भर भारत की ओर देखते हैं, तो यह साफ दिखाई देता है कि इस यात्रा का नेतृत्व हमारे शिक्षक कर रहे हैं। उनके परिश्रम, धैर्य और समर्पण से ही एक ऐसा भारत आकार लेगा, जो आत्मनिर्भर भी होगा और विश्वगुरु भी।

इसलिए शिक्षक दिवस पर केवल औपचारिक कार्यक्रमों और भाषणों से आगे बढ़कर हमें यह सोचना चाहिए कि कैसे हम अपने शिक्षकों को सम्मान, सहयोग और उचित संसाधन उपलब्ध करा सकें। क्योंकि राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत नींव उनके ही हाथों से रखी जाती है।

शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को नमन। 🙏

नेशनल कैपिटल टाइम्स 

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Rudra ji