पहलगाम से आतंकियों को सख्त संदेश देने की तैयारी: उमर सरकार का ऐतिहासिक फैसला
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद राज्य सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा और साहसिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि आगामी कैबिनेट बैठक श्रीनगर या जम्मू जैसी पारंपरिक राजधानियों में नहीं, बल्कि दक्षिण कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में आयोजित की जाएगी। यह राज्य के इतिहास में पहली बार होगा जब सरकार की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था राजधानी से बाहर बैठक करेगी। इस फैसले को आतंकवाद के खिलाफ कड़ा और प्रतीकात्मक संदेश माना जा रहा है।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब हाल के आतंकी हमलों ने घाटी के माहौल को तनावपूर्ण बना दिया था। सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि आतंकवाद के आगे झुकने का समय खत्म हो गया है। उमर अब्दुल्ला की यह रणनीति सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि यह दिखाने की कोशिश है कि राज्य सरकार आतंकियों के डर के आगे न कभी झुकी है और न ही झुकेगी। इस बैठक के माध्यम से सरकार यह संदेश देना चाहती है कि कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और शासन व्यवस्था मजबूती से कायम है।
पहलगाम एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। लेकिन बीते कुछ समय में यहां पर्यटकों की संख्या में गिरावट देखी गई है, जिसका कारण आतंकी घटनाएं और सुरक्षा को लेकर उपजी चिंता रही है। सरकार की यह पहल न केवल आम नागरिकों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने की कोशिश है, बल्कि यह पर्यटन उद्योग को फिर से जीवंत करने का भी प्रयास है। कैबिनेट बैठक के आयोजन से यह संदेश जाएगा कि कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं और पर्यटक बेहिचक यहां आ सकते हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उमर सरकार का यह फैसला दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। एक ओर इससे केंद्र सरकार और अन्य राज्यों को संदेश जाएगा कि जम्मू-कश्मीर की सरकार आतंक के सामने घुटने टेकने वाली नहीं है, वहीं दूसरी ओर इससे स्थानीय जनता के मन में भी भरोसा जगेगा कि सरकार उनकी सुरक्षा और सामान्य जीवन बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।
इस फैसले के साथ सरकार की सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका भी बेहद अहम हो गई है। पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाके में कैबिनेट बैठक के सफल आयोजन के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रबंध, खुफिया निगरानी और स्थानीय प्रशासन की सतर्कता इस पूरी प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होंगे।
संक्षेप में, उमर अब्दुल्ला सरकार का यह निर्णय आतंकियों के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा है, जिसमें डर को हराकर साहस और विश्वास को स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। यह सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ लोकतंत्र और विकास की ओर बढ़ता एक ठोस कदम है।
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