भारतीय रेल: हर सफर अब पर्यावरण के नाम – 2025 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य के करीब
नई दिल्ली – जब भी आप सड़क के बजाय रेल यात्रा चुनते हैं, तो वह सिर्फ़ सुविधा या आराम का चुनाव नहीं होता – यह एक स्वच्छ, हरित भारत के भविष्य का चुनाव होता है। बीते साल 700 करोड़ से अधिक यात्रियों ने भारतीय रेल के माध्यम से यात्रा की, जो न केवल देश की जीवनरेखा है, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर भारतीय रेलवे ने एक बार फिर सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) के अपने संकल्प को दोहराया है। हर नया विद्युतीकृत ट्रैक, हर सौर पैनल और हर फ्रेट कंटेनर जो सड़क से हटकर रेल पर आया है, यह सब एक वादा है – हमारे देश और धरती दोनों के लिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पंचामृत लक्ष्यों की दिशा में भारतीय रेल तेज़ी से आगे बढ़ रही है, जिसका अंतिम उद्देश्य है 2070 तक देश को नेट ज़ीरो बनाना। लेकिन रेलवे खुद अपने लक्ष्य में इससे भी आगे निकलती दिख रही है।
रेल मंत्रालय के अनुसार, भारतीय रेल 2030 तक नेट ज़ीरो (स्कोप-1) बनने का लक्ष्य लेकर चल रही थी, लेकिन तेज़ रफ्तार विद्युतीकरण और सड़क से रेल पर कार्गो शिफ्टिंग के चलते अब यह लक्ष्य 2025 तक ही हासिल कर लिया जाएगा।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लिखित ब्लॉग “भारतीय रेल: जहां विकास और स्थिरता का संगम होता है” में बताया गया है कि किस प्रकार भारतीय रेल न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति दे रही है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी बड़ी कटौती कर रही है।
रेलवे का यह हरित मॉडल न केवल भारत को जलवायु संकट से निपटने में मदद कर रहा है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;