मोहन भागवत का बड़ा बयान: “आज़ादी किसी एक की देन नहीं” – स्वतंत्रता संग्राम में सभी का योगदान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने देश की आज़ादी को लेकर एक अहम और विचारोत्तेजक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को मिली स्वतंत्रता किसी एक व्यक्ति, संगठन या विचारधारा की देन नहीं है, बल्कि यह उन लाखों known–unknown वीरों के बलिदान, संघर्ष और तपस्या का परिणाम है जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
मोहन भागवत ने 1857 की क्रांति का ज़िक्र करते हुए कहा, “उसी समय से स्वतंत्रता की ज्वाला देश में प्रज्वलित हुई, जिसने आगे चलकर जन-जन के सहयोग से एक व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप लिया।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत की आज़ादी एक सामूहिक प्रयास का नतीजा है, न कि किसी एक पार्टी या संगठन का योगदान।
हालांकि, उनके इस बयान पर कुछ आलोचकों ने सवाल उठाए हैं कि RSS ने आज़ादी की लड़ाई में कोई सीधा योगदान नहीं दिया और उसका उद्देश्य हिंदू राष्ट्र की स्थापना था। इस पर भागवत ने कोई प्रत्यक्ष टिप्पणी नहीं की, लेकिन अपने भाषण में बार-बार “समूहिक संघर्ष” और “साझा बलिदान” जैसे शब्दों पर ज़ोर दिया।
उनका यह बयान राजनीतिक गलियारों और सामाजिक क्षेत्रों में गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। कुछ इसे समावेशी दृष्टिकोण मानते हैं, जबकि कुछ इसे इतिहास को फिर से परिभाषित करने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।