योग दिवस 2025: 81 विरासत स्थलों पर गूंजा “ओम्”, एएसआई और आयुष मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से ऐतिहासिक योग उत्सव
नई दिल्ली, 21 जून:
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर भारत ने एक बार फिर अपनी प्राचीन संस्कृति और स्वास्थ्य परंपराओं का वैश्विक संदेश देने का भव्य प्रदर्शन किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्वावधान में, केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से देशभर के 81 प्रमुख विरासत स्थलों पर सामूहिक योग सत्रों का आयोजन किया गया।

गुजरात की अडालज की वाव से लेकर ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर तक, इन ऐतिहासिक स्थलों पर योग साधकों की भारी भीड़ उमड़ी। प्राचीन वास्तुकला की गोद में हर उम्र और पृष्ठभूमि के लोग एक साथ योगासन करते नजर आए — एक ऐसा दृश्य जिसने भारत की सांस्कृतिक चेतना और स्वास्थ्य परंपरा का जीवंत रूप प्रस्तुत किया।
योग – न केवल आसनों का अभ्यास, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतिबिंब
इन आयोजनों का उद्देश्य न केवल योग को बढ़ावा देना था, बल्कि यह भी दर्शाना था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसे अब वैश्विक समुदाय भी तेजी से अपना रहा है। ऐतिहासिक धरोहरों के साए में योगाभ्यास कर लोगों ने आत्मिक और सांस्कृतिक एकता का अनुभव किया।
विशेष झलकियां:
राजस्थान के कुंभलगढ़ किले पर सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार का आयोजन
मध्यप्रदेश के खजुराहो मंदिर प्रांगण में 500 से अधिक युवाओं ने भाग लिया
तमिलनाडु के महाबलीपुरम में समुद्र की लहरों के बीच योग साधना का अद्भुत दृश्य

हर वर्ग के लिए योग:
यह आयोजन यह भी दर्शाता है कि योग अब किसी वर्ग, आयु या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। छात्र, गृहिणी, वरिष्ठ नागरिक, युवा प्रोफेशनल्स – सभी इस योग आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
सरकार की पहल:
केंद्रीय आयुष मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “ऐतिहासिक स्थलों पर योग आयोजन केवल स्वास्थ्य नहीं, बल्कि भारत की विरासत, आत्मबल और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन रहा है। यह पहल जन-जन तक योग पहुंचाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।”
योग अब केवल भारत की थाती नहीं, बल्कि वैश्विक धरोहर बन चुका है। और जब वह भारत के ऐतिहासिक स्थलों की छांव में पनपता है, तो यह नजारा विश्व को भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ और आध्यात्मिक गहराई का अहसास कराता है।